साज़िशें लाखो बनती है राधे मुझे मिटाने की,
बस दुआयें मेरे साई की उन्हें मुकम्मल नहीं होने देती
Search This Blog
Thursday, 9 March 2017
लाखों भटकते हैं, पर वो एक मंजिल दिखलाता है,लाखों रोते बिलखते हैं,वो आंसू पोंछने आता है,दिल में उठती जो दुआ,एक पल में ही सुन जाता है,वही नूरे-जहाँ, इस दुनिया में 'साई' कहलाता हैं ।
🙏🌺॥ॐ साईराम॥🌺🙏
No comments:
Post a Comment