साज़िशें लाखो बनती है राधे मुझे मिटाने की, बस दुआयें मेरे साई की उन्हें मुकम्मल नहीं होने देती
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Friday, 31 March 2017
Tuesday, 28 March 2017
Saturday, 25 March 2017
संसार के सारे तीर्थ श्री साई चरणों में ही विद्यमान हैं।
संसार के सारे तीर्थ श्री साई चरणों में ही विद्यमान हैं।
साईं बाबा बैठे हुए थे कि अचानक एक व्यक्ति ने उनके सामने आकर हाथ जोड़ते हुए कहा - "अब कुछ दिनों के लिए मुझे आपसे दूर रहना पड़ेगा|"
"कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं| आशीर्वाद दीजिए मेरी यात्रा सफल हो|"
साईं बाबा ने मुस्कराकर उसकी ओर देखा और बोले - "तुम यात्रा पर चले गए तो यह गांव सूना हो जाएगा| गांव वाले चाहे तुम्हारी कमी महसूस करें या न करें, लेकिन मुझे तुम्हारी कमी बहुत अखरेगी| कोई बात नहीं, जाओ| त्रिवेणी स्नान कर आओ| सुना है, जन्म-जन्मान्तर के पाप धुल जाते हैं|"
वह सुनकर हैरान रह गया| अभी तो उसकी पत्नी और घरवालों को ही यह बात पता थी कि वह प्रयागराज त्रिवेणी स्नान करने जा रहा है| फिर साईं बाबा को इस बात का कैसे पता चला ? उसने साईं बाबा के चरण पकड़ लिए और बोला - "आप तो अन्तर्यामी हैं| मुझे आशीर्वाद दीजिए कि आपकी मुझ पर कृपा सदा ऐसे ही बनी रहे|"
फिर उसने भावविह्वल होकर साईं बाबा के चरणों पर अपना मस्तक रख दिया| उसे ऐसा लगा जैसे साईं बाबा के चरणों से एक साथ गंगा, यमुना और सरस्वती प्रवाहित हो रही हों| वह आश्चर्य से बाबा के चरणों से प्रवाहित होती उन तीनों धाराओं को देखने लगा| उसे अपनी आँखों पर सहसा विश्वास नहीं हो रहा था| वह यह सब कुछ जो देख रहा है, वह सत्य है या एक सपना?
तभी उसने अनुभव किया, जैसे वह संगम में स्नान कर रहा है| यह सब अनुभव कर वह आश्चर्यचकित हो गया| दोनों हाथ जोड़कर बोला - "धन्य हों बाबा ! आप धन्य हों| आपके चरणों में बैठे ही बैठे मैंने त्रिवेणी स्नान कर लिया| अब मुझे प्रयागराज जाने की कोई आवश्यकता नहीं है|"
"तुमने त्रिवेणी स्नान यहीं बैठे-बैठे कर लिया ?" साईं बाबा मुस्करा रहे थे|
"हां बाबा !" उसने प्रसन्न स्वर में कहा - "मैं तो व्यर्थ में ही इधर-उधर भटक रहा था| मुझे क्या मालूम कि संसार के सारे तीर्थ इन चरणों में ही विद्यमान हैं|"
"नहीं, संसार के सारे तीर्थ ही नहीं स्वयं भगवान भी तुम्हारी भावनाओं में विराजमान हैं| केवल श्रद्धा, भक्ति और विश्वास की आवश्यकता है| माया-मोह से परे हटकर जब कोई व्यक्ति इन तीनों गुणों को अपना लेता है, सहज ही वह भगवान के दर्शन पा लेता है| यही ब्रह्म ज्ञान है|
मस्जिद में बैठे भक्तगण साईं बाबा की इस अद्भुत लीला को देखकर भाव-विभोर हो उठे| सबको इस बात पर बड़ा आश्चर्य हो रहा था| उसके व्यवहार पर सब चकित थे|
वह तेजी से झुका और साईं बाबा के चरणों से लिपट गया| उसकी आँखों से आंसुओं की धारा बह निकली थी|
वह श्रद्धा से गद्गद् हो गया|
साईं बाबा बैठे हुए थे कि अचानक एक व्यक्ति ने उनके सामने आकर हाथ जोड़ते हुए कहा - "अब कुछ दिनों के लिए मुझे आपसे दूर रहना पड़ेगा|"
"कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं| आशीर्वाद दीजिए मेरी यात्रा सफल हो|"
साईं बाबा ने मुस्कराकर उसकी ओर देखा और बोले - "तुम यात्रा पर चले गए तो यह गांव सूना हो जाएगा| गांव वाले चाहे तुम्हारी कमी महसूस करें या न करें, लेकिन मुझे तुम्हारी कमी बहुत अखरेगी| कोई बात नहीं, जाओ| त्रिवेणी स्नान कर आओ| सुना है, जन्म-जन्मान्तर के पाप धुल जाते हैं|"
वह सुनकर हैरान रह गया| अभी तो उसकी पत्नी और घरवालों को ही यह बात पता थी कि वह प्रयागराज त्रिवेणी स्नान करने जा रहा है| फिर साईं बाबा को इस बात का कैसे पता चला ? उसने साईं बाबा के चरण पकड़ लिए और बोला - "आप तो अन्तर्यामी हैं| मुझे आशीर्वाद दीजिए कि आपकी मुझ पर कृपा सदा ऐसे ही बनी रहे|"
फिर उसने भावविह्वल होकर साईं बाबा के चरणों पर अपना मस्तक रख दिया| उसे ऐसा लगा जैसे साईं बाबा के चरणों से एक साथ गंगा, यमुना और सरस्वती प्रवाहित हो रही हों| वह आश्चर्य से बाबा के चरणों से प्रवाहित होती उन तीनों धाराओं को देखने लगा| उसे अपनी आँखों पर सहसा विश्वास नहीं हो रहा था| वह यह सब कुछ जो देख रहा है, वह सत्य है या एक सपना?
तभी उसने अनुभव किया, जैसे वह संगम में स्नान कर रहा है| यह सब अनुभव कर वह आश्चर्यचकित हो गया| दोनों हाथ जोड़कर बोला - "धन्य हों बाबा ! आप धन्य हों| आपके चरणों में बैठे ही बैठे मैंने त्रिवेणी स्नान कर लिया| अब मुझे प्रयागराज जाने की कोई आवश्यकता नहीं है|"
"तुमने त्रिवेणी स्नान यहीं बैठे-बैठे कर लिया ?" साईं बाबा मुस्करा रहे थे|
"हां बाबा !" उसने प्रसन्न स्वर में कहा - "मैं तो व्यर्थ में ही इधर-उधर भटक रहा था| मुझे क्या मालूम कि संसार के सारे तीर्थ इन चरणों में ही विद्यमान हैं|"
"नहीं, संसार के सारे तीर्थ ही नहीं स्वयं भगवान भी तुम्हारी भावनाओं में विराजमान हैं| केवल श्रद्धा, भक्ति और विश्वास की आवश्यकता है| माया-मोह से परे हटकर जब कोई व्यक्ति इन तीनों गुणों को अपना लेता है, सहज ही वह भगवान के दर्शन पा लेता है| यही ब्रह्म ज्ञान है|
मस्जिद में बैठे भक्तगण साईं बाबा की इस अद्भुत लीला को देखकर भाव-विभोर हो उठे| सबको इस बात पर बड़ा आश्चर्य हो रहा था| उसके व्यवहार पर सब चकित थे|
वह तेजी से झुका और साईं बाबा के चरणों से लिपट गया| उसकी आँखों से आंसुओं की धारा बह निकली थी|
वह श्रद्धा से गद्गद् हो गया|
Friday, 24 March 2017
बाबा साईं के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा हम सब पर बरसाते रहें ।
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
शीश दिये जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान॥
इस संसार के विष से भरे जीवन को अपनी सिद्धि और करुणा के सहारे गुरु अमृतमय बनाकर हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचा देता है। इसीलिए हर साधक गुरु को ब्रह्मा, गुरु को ही विष्णु और गुरु को ही सदा शिव, बल्कि यहां तक कि गुरु को ही परब्रह्म के रूप में नमन करते है।
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
शीश दिये जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान॥
इस संसार के विष से भरे जीवन को अपनी सिद्धि और करुणा के सहारे गुरु अमृतमय बनाकर हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचा देता है। इसीलिए हर साधक गुरु को ब्रह्मा, गुरु को ही विष्णु और गुरु को ही सदा शिव, बल्कि यहां तक कि गुरु को ही परब्रह्म के रूप में नमन करते है।
बाबा साँईं कहते हैं
मुझ को कहाँ ढुडे रे बन्दे में तो तेरे पास में,
न तिरत में न मूरत में न एकांत निवास में,
न मंदिर में न मश्जिद में न काबे कैलाश में,
में तो तेरे पास में बन्दे में तो तेरे पास में,
खोजो तो तुरन्त मिल जाऊ एक पल की तलाश में,
कहत कबीर सुनो भाई साधो में तो हूँ विशवास में,
ओ बन्दे रे में तो तेरे पास में..
ॐ साँईं राम..
मुझ को कहाँ ढुडे रे बन्दे में तो तेरे पास में,
न तिरत में न मूरत में न एकांत निवास में,
न मंदिर में न मश्जिद में न काबे कैलाश में,
में तो तेरे पास में बन्दे में तो तेरे पास में,
खोजो तो तुरन्त मिल जाऊ एक पल की तलाश में,
कहत कबीर सुनो भाई साधो में तो हूँ विशवास में,
ओ बन्दे रे में तो तेरे पास में..
ॐ साँईं राम..
Baba Teachings
Baba encouraged his devotees to pray, chant God's name and read holy scriptures - he told Muslims to study the Qur'an, and Hindus, texts like the Ramayana, Vishnu Sahasranam, Bhagavad Gita (and commentaries to it), Yoga Vasistha. He advised his devotees and followers to lead a moral life, help others, treat them with love and develop two important features of character: faith (Shraddha) and patience (Saburi). He also criticized atheism.In his teachings Sai emphasised the importance of performing one's duties without attachment to earthly matters and being ever content regardless of the situation..
Om Sai Ram...
Baba encouraged his devotees to pray, chant God's name and read holy scriptures - he told Muslims to study the Qur'an, and Hindus, texts like the Ramayana, Vishnu Sahasranam, Bhagavad Gita (and commentaries to it), Yoga Vasistha. He advised his devotees and followers to lead a moral life, help others, treat them with love and develop two important features of character: faith (Shraddha) and patience (Saburi). He also criticized atheism.In his teachings Sai emphasised the importance of performing one's duties without attachment to earthly matters and being ever content regardless of the situation..
Om Sai Ram...
O Lord Sai Of Dwaaraka
O Lord Sai of Dwaaraka, O Lord Vithal of Pandharpur, You are known by one beautiful name 'Sai Ram'. You are Allah, You are Eshwara (Lord Shiva), You are Lord our God.It is now Dawn "Uttho Sai" Your Devotees have gathered in large numbers for having your early morning Darshan. Please have mercy on us, please be kind to us, please protect all of us.
Om Sai Ram..
O Lord Sai of Dwaaraka, O Lord Vithal of Pandharpur, You are known by one beautiful name 'Sai Ram'. You are Allah, You are Eshwara (Lord Shiva), You are Lord our God.It is now Dawn "Uttho Sai" Your Devotees have gathered in large numbers for having your early morning Darshan. Please have mercy on us, please be kind to us, please protect all of us.
Om Sai Ram..
Baba SAI
If you make Me the sole object of your thoughts and aims, you will attain paramartha, the supreme goal. Look at me with undivided attention; so will I look at you. This is the only truth that my guru had taught me. The four sadhanas and the six sastrasare not necessary. With entire confidence, trust your guru. That is enough..
Om Sai Ram..
If you make Me the sole object of your thoughts and aims, you will attain paramartha, the supreme goal. Look at me with undivided attention; so will I look at you. This is the only truth that my guru had taught me. The four sadhanas and the six sastrasare not necessary. With entire confidence, trust your guru. That is enough..
Om Sai Ram..
Thursday, 16 March 2017
BABA SAI::
Look at Me wholeheartedly, and I in turn look at you sincerely. He who loves Me most always sees Me. I am dependent on him who thinks and hungers after Me and who does not eat anything without first offering it to Me. I feel indebted to him who surrenders himself completely to Me and ever remembers Me. I shall repay his debt by giving him salvation, self-realisation.
Sai knows fully the desires of His devotees and fulfils them. They get what they want and are grateful. So we invoke Him and prostrate ourselves before Him. Forgetting all our faults, let Him free us from all anxieties. He who, being overcome with all calamities, remembers and prays to Sai thus, will get his mind calmed and purified through His grace.
Om Sai Ram..
Look at Me wholeheartedly, and I in turn look at you sincerely. He who loves Me most always sees Me. I am dependent on him who thinks and hungers after Me and who does not eat anything without first offering it to Me. I feel indebted to him who surrenders himself completely to Me and ever remembers Me. I shall repay his debt by giving him salvation, self-realisation.
Sai knows fully the desires of His devotees and fulfils them. They get what they want and are grateful. So we invoke Him and prostrate ourselves before Him. Forgetting all our faults, let Him free us from all anxieties. He who, being overcome with all calamities, remembers and prays to Sai thus, will get his mind calmed and purified through His grace.
Om Sai Ram..
Wednesday, 15 March 2017
Morning Prayer To Lord Our God SAI
Oh My Lord My God Baba SAI, I am born now from the womb of sleep.
I am determined to carry out all tasks this day as offerings to You Baba Sai, with You Our Sadguru Malik SAI please always be present before my mind’s eye as you always remain..
Make my Words, Thoughts, and Deeds sacred and pure. Let me not inflict pain on anyone & Let no one inflict pain on me. Direct me, guide me, as you always do..
Baba Bless All Of Us..
Om Sai Ram...
Oh My Lord My God Baba SAI, I am born now from the womb of sleep.
I am determined to carry out all tasks this day as offerings to You Baba Sai, with You Our Sadguru Malik SAI please always be present before my mind’s eye as you always remain..
Make my Words, Thoughts, and Deeds sacred and pure. Let me not inflict pain on anyone & Let no one inflict pain on me. Direct me, guide me, as you always do..
Baba Bless All Of Us..
Om Sai Ram...
BABA SAI Say's::
If a person places his burden on Me and trusts Me in full faith, I bear his burden and protect him.
If a person considers Me his sole refuge withdrawing his mind from all worldly objects and pleasures, he gains Paramartha. He need not fear anything for body or soul. In the abode of My devotees there will be no dearth of food or clothing.
If a person trusts Me and leaves everything to Me, I will never let him fall. I will give My head to save him. I am Bhakta Paradheena—the bonded slave of My devotees..
Om Sai Ram..
If a person places his burden on Me and trusts Me in full faith, I bear his burden and protect him.
If a person considers Me his sole refuge withdrawing his mind from all worldly objects and pleasures, he gains Paramartha. He need not fear anything for body or soul. In the abode of My devotees there will be no dearth of food or clothing.
If a person trusts Me and leaves everything to Me, I will never let him fall. I will give My head to save him. I am Bhakta Paradheena—the bonded slave of My devotees..
Om Sai Ram..
हे साई। आपके श्री चरण धन्य है और उनका स्मरण कितना सुखदायी है । आपके भवभयविनाशक स्वरुप का दर्शन भी धन्य है, जिसके फलस्वरुप कर्मबन्धन छिन्नभिन्न हो जाते है । यघपि अब हमें आपके सगुण स्वरुप का दर्शन नहीं हो सकता, फिर भी यदि भक्तगण आपके श्रीचरणों में श्रद्घा रखें तो आप उन्हें प्रत्यक्ष अनुभव दे दिया करते है। आप एक अज्ञात आकर्षण शक्ति द्घारा निकटस्थ या दूरस्थ भक्तों को अपने समीप खींचकर उन्हें एक दयालु माता की समान हृदय से लगाते है। हे साई। भक्त नहीं जानते कि आपका निवास कहाँ है, परन्तु आप इस कुशलता से उन्हें प्रेरित करते है, जिसके परिणामस्वरुप भासित होने लगता है कि आपका अभयहस्त उनके सिर पर है और यह आपकी ही कृपा-दृष्टि का परिणाम है कि उन्हें अज्ञात सहायता सदैव प्राप्त होती रहती है।
साई साई साई
साई साई साई
Wednesday, 8 March 2017
Lotus Feet Of Sadguru SAI
Leave All Your Worries, Tensions, Family & Career Problems At The Lotus Feet Of Sasguru SAI. Don't Mind What Your Friends & Relatives Comment About Your Faith On BABA SAI. You Just Learn To Love SAI Whole Heartedly. Fill Your Mind With SAI, SAI, SAI.. Remember BABA Every Minute, Read & Assimilate SAI LEELAs His Stories And Chant SAI SAI SAI Always. This Way When You Fill Your Mind With Sai's Thoughts, SAI Will Reside In Your Own Mind Forever. What More You Need Than A Saint Who Has All Siddhis, Lives In Your Own Mind. Sai's Presence In Your Mind Is The Infinite Power of Healing. SAI Will Bless You With Good Health, Happiness, Prosperity And A Great Life. He Will Reduce Your Bad Karma And Take Away All Your Sorrows And Sufferings, SAI Will Give You The Best Of Everything In Life. Keep Up The Faith.
OM SAI RAM
Leave All Your Worries, Tensions, Family & Career Problems At The Lotus Feet Of Sasguru SAI. Don't Mind What Your Friends & Relatives Comment About Your Faith On BABA SAI. You Just Learn To Love SAI Whole Heartedly. Fill Your Mind With SAI, SAI, SAI.. Remember BABA Every Minute, Read & Assimilate SAI LEELAs His Stories And Chant SAI SAI SAI Always. This Way When You Fill Your Mind With Sai's Thoughts, SAI Will Reside In Your Own Mind Forever. What More You Need Than A Saint Who Has All Siddhis, Lives In Your Own Mind. Sai's Presence In Your Mind Is The Infinite Power of Healing. SAI Will Bless You With Good Health, Happiness, Prosperity And A Great Life. He Will Reduce Your Bad Karma And Take Away All Your Sorrows And Sufferings, SAI Will Give You The Best Of Everything In Life. Keep Up The Faith.
OM SAI RAM
Tuesday, 7 March 2017
Feel Baba SAI He is always With You..
Have faith in SAI SAI SAI, Even though He Has Gave up his physical body. His bones are in His Samadhi. He will give you hope and confidence Try To See Him Feel Him Love Him Chant Him. Not only Baba, but his Samadhi also speaks only and only you Have To Open Your Internal Ears, moving and communicating with those who surrender to Him whole heartedly. Do not feel disappointed that He is away from you, You can always hear Him speaking and discussing your welfare. If you remember Him With True Heart constantly and have faith in Him with heart and soul, you shall be greatly benefited.
SAI SAI SAI Chant His Name for 5 mins Daily and Try To Feel Him Speaking With You..
Om Sai Ram, Baba Bless Us All..
Have faith in SAI SAI SAI, Even though He Has Gave up his physical body. His bones are in His Samadhi. He will give you hope and confidence Try To See Him Feel Him Love Him Chant Him. Not only Baba, but his Samadhi also speaks only and only you Have To Open Your Internal Ears, moving and communicating with those who surrender to Him whole heartedly. Do not feel disappointed that He is away from you, You can always hear Him speaking and discussing your welfare. If you remember Him With True Heart constantly and have faith in Him with heart and soul, you shall be greatly benefited.
SAI SAI SAI Chant His Name for 5 mins Daily and Try To Feel Him Speaking With You..
Om Sai Ram, Baba Bless Us All..
थोडा ध्यान लगा साईं दौड़े दौड़े आयेंगे
कृपा की छाया में बिठाएँगे तुझको कहाँ तुम जाओगेउनकी दया दृष्टि जब जब पड़े तुम भवतर जाओगेऐसा है विश्वास मन में सत की ज्योत वो जलाएंगेथोडा ध्यान लगा साईं दौड़े दौड़े आयेंगे
ॐ साईं राम जय साई राम
इंसानियत ही पहला धर्मं है इंसान का...
फिर पन्ना खुलता है गीता या कुरान का...
सबका मालिक एक....
बोलिये साई नाथ महाराज की जय..
कृपा की छाया में बिठाएँगे तुझको कहाँ तुम जाओगेउनकी दया दृष्टि जब जब पड़े तुम भवतर जाओगेऐसा है विश्वास मन में सत की ज्योत वो जलाएंगेथोडा ध्यान लगा साईं दौड़े दौड़े आयेंगे
ॐ साईं राम जय साई राम
इंसानियत ही पहला धर्मं है इंसान का...
फिर पन्ना खुलता है गीता या कुरान का...
सबका मालिक एक....
बोलिये साई नाथ महाराज की जय..
Sunday, 5 March 2017
Does Money matters in life ?
With regard to money, Shri Sai Baba demonstrated many a time that it has no value.
One of the many is below: One day, a rich man came to Baba and asked for Brahma Jnanam. He said, that is the only thing lacking in his life and he has got all. Baba said- I am very happy. Rarely, I find someone asking for this, as everyone is coming to me to seek materialistic things.
Saying thus, HE was sending someone to the shopkeepers to lend HIM some money and they all refused to lend Baba Sai any money fearing that they will not get it back. The rich man, who came to seek Brahma Jnana, was seeing all this, but instead of giving that money, kept quite. Finally he said, give me the Brahma Jnana fast, as I have to leave. Then Sri Sai Baba coolly told him - "I am trying the same. However, if you do not give Rs 5 (in this context, his ego, his buddhi etc.. which means surrendering to the HIM), then only you will get Brahma Jnana. However, you are so fond of it, you can not part with it. Unless you part with it, I can not". (excerpt from Shri Sai Master's Shri Sai Leelamrutam)
Om Sai Ram..
With regard to money, Shri Sai Baba demonstrated many a time that it has no value.
One of the many is below: One day, a rich man came to Baba and asked for Brahma Jnanam. He said, that is the only thing lacking in his life and he has got all. Baba said- I am very happy. Rarely, I find someone asking for this, as everyone is coming to me to seek materialistic things.
Saying thus, HE was sending someone to the shopkeepers to lend HIM some money and they all refused to lend Baba Sai any money fearing that they will not get it back. The rich man, who came to seek Brahma Jnana, was seeing all this, but instead of giving that money, kept quite. Finally he said, give me the Brahma Jnana fast, as I have to leave. Then Sri Sai Baba coolly told him - "I am trying the same. However, if you do not give Rs 5 (in this context, his ego, his buddhi etc.. which means surrendering to the HIM), then only you will get Brahma Jnana. However, you are so fond of it, you can not part with it. Unless you part with it, I can not". (excerpt from Shri Sai Master's Shri Sai Leelamrutam)
Om Sai Ram..
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