श्री शिर्डी साईं बाबा
साज़िशें लाखो बनती है राधे मुझे मिटाने की, बस दुआयें मेरे साई की उन्हें मुकम्मल नहीं होने देती
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Monday, 27 February 2017
आँखों में आंसुओं की लकीर बन गई;
जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गई;
हमने तो सिर्फ रेत में उंगलियाँ घुमाई थी;राधे
गौर से देखा तो मेरे साई की तस्वीर बन गई.
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