Search This Blog

Monday, 27 February 2017

आँखों में आंसुओं की लकीर बन गई;
जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गई;
हमने तो सिर्फ रेत में उंगलियाँ घुमाई थी;राधे
गौर से देखा तो मेरे साई की तस्वीर बन गई.

No comments:

Post a Comment